नरक चौदस दिवाली के 1 दिन पहले मनाई जाती है इस साल 2023 11 नवंबर को मनाई जाएगी। 11 नवंबर को नरक चौदस तिथि 1:57 पर आरंभ होगी और अगले दिन 12 नवंबर को 2:44 पर समाप्त होगी। यह कार्तिक कृष्ण चौदस है और इस रूप चौदस, काली चौदस और नरक चौदस कहते हैं। इस दिन काली पूजा करते हैं और यमदीप जलाया जाता है।
छोटी दिवाली को नरक चौदस इसलिए कहते हैं कि इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में सभी देवगढ़ और सभी मनुष्य बहुत खुश हुए थे। इसलिए इस दिन को नरकासुर पर श्री कृष्णा की जीत के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में प्रागज्योतिषपुर असुर राजा नरकासुर ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि मुनियों के साथ 16000 रानियों को बंधक बना लिया था। नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप मिला था इसलिए भगवान श्री कृष्णा ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया। श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद नरकासुर के बंदी गृह में 16000 महिलाओं और सभी ऋषि मुनियों देवताओं को भी आजाद कराया था। यह 16000 रानियां असुर की कैद में थी समाज के बहिष्कृत के भय से उन्होंने श्री कृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लिया। श्री कृष्ण ने भी इन रानियों से विवाह कर लिया।
नरक चतुर्दशी पर अभ्यांग स्नान की भी परंपरा है। माना जाता है कि इस स्नान से नरक से मुक्ति मिलती है, स्वर्ग और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और शाम के समय मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। शाम के समय घर के दरवाजे पर यम का दीपक जलाया जाता है। इस दीपक को जलाने से अकाल मृत्यु का खतरा परिवार के ऊपर से टल जाता है।नरक चौदस को काली चौदस भी कहा जाता है इसलिए इस दिन माता काली की भी पूजा की जाती है।
हिंदू धार्मिक चतुर्दशी का बहुत महत्व है इस दिन घरों में माता लक्ष्मी का आगमन होता है और दरिद्रता दूर होती है। नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
नरक चतुर्दशी पूजन विधि
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले प्रातः काल में स्नान करने का महत्व है। इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए। स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख करें और हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से पूरे वर्ष में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। शाम के समय सभी देवताओं के पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों तरफ रखें व कार्यस्थल के प्रवेश द्वार पर भी रखें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी सदैव घर में निवास करती हैं। इस दिन निशीत काल (अर्धरात्रि का समय) में घर से बेकार सामान फेक देना चाहिए। इस परंपरा को दारिद्रय निः सारण कहा जाता है। नरक चतुर्दशी के अगले दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती है इसलिए घरों से हर तरह की गंदगी यानी दरिद्राय को बाहर कर देना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन एक काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इस दिन भूल से भी अपने घर को अकेला ना छोड़े।