दिवाली का त्यौहार बीत गया लेकिन दीप उत्सव के कुछ त्यौहार अभी बाकी है। धनतेरस से शुरू होता है दीप उत्सव का त्योहार और भाई दूज के दिन समाप्त होता है। भाई दूज त्यौहार का नाम दो शब्दों से है, जिसमें भाई का अर्थ है भाई और दूज का अर्थ है अमावस के बाद का दूसरा दिन। भाईदूज (भ्रातृ द्वितीया) हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला त्यौहार है। जिसे हम यम द्वितीया भी कहते हैं। यह त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व भाई के प्रति बहन के स्नेहा को अभिव्यक्त करता है और बहने अपने भाइयों की खुशी के लिए कामना करती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि यमराज जब यमुना के घर गए तब उनकी बहन यमुना ने उनका तिलक किया और भोजन कराया। यमुना ने अपने भाई यमराज का बहुत अच्छे से स्वागत किया। यमराज ने खुश होकर यमुना से वरदान मांगने को कहा। वरदान में यमुना ने अपने भाई से कहा कि हर साल आप इसी दिन मेरे घर आना। इसी को देखकर हर भाई बहन ने भाई दूज का त्योहार मनाना शुरू कर दिया।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त।
इस वर्ष 2023 भाई दूज त्योहार का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर दोपहर 2:36 पर शुरू होगा और इसका समापन 15 नवंबर दोपहर 1:45 पर होगा। उदय तिथि के चलते भाई दिवस का त्यौहार 15 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर किसकी पूजा की जाती है?
भाई दूज के दिन यमराज और चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। उनके नाम का अर्घ्य और दीप दान करना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने अपने भाई यमराज की पूजा की और उन्हें भोजन भी कराया था।
भाईदूज पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
भाई दूज पर्व की शुरुआत यमराज और यमुना जी ने की थी इसलिए भाई दूज के दिन भाई और बहन दोनों को ही सबसे पहले यमराज और यमुना जी की पूजा करनी चाहिए उसके बाद बहन को अपने भाई का तिलक करना चाहिए। पूजा के दौरान बहन को अपने भाई के लिए सभी मुसीबतें दूर करने और उसकी लंबी आयु प्रदान करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
भाई दूज के दिन बहनों को बिना कुछ खाए भाइयों का तिलक करना शुभ माना जाता है। अगर इस दिन राहुकाल है तो इसका विशेष ध्यान रखें क्योंकि राहुकाल में भाइयों का तिलक करना अशोक माना जाता है। तिलक करते समय भाई को कुर्सी, चौकी या आसन पर बैठा है जमीन पर नहीं और भाई अपने सिर को रूमाल या कोई कपड़ा से अवश्य ढके। इस दिन भाई बहन काले रंग के कपड़े बिल्कुल भी ना पहने और आपस में लड़ाई झगड़ा भी ना करें। भाई दूज के दिन बहनें भाइयों के तिलक करने के बाद उनकी आरती जरूर उतारे।
भाई दूज पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक क्यों करती हैं?
भाई दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करके द्वारिका वापस लौटे थे। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल फूल मिठाई और दीए जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तिष्क पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी। तभी भाईदूज के पर्व पर बहने अपनी भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं।
भाईदूज त्योहार को फोटो त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है। फोटो त्यौहार पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के लिए व्रत रखती हैं और भाई का तिलक करती हैं फिर सबसे पहले उसे खाना खिलाती हैं। तिलक के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देता है। पश्चिम बंगाल में यह त्यौहार इसी तरह बनाया जाता है।
कैसे करते हैं भाई दूज की पूजा की थाली तैयार?
एक खाली को फूलों से अच्छे से सजा ले फिर उसमें रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, मिठाई, फल, कलवा, सूखा नारियल आदि रखें साथ में एक घी का दीपक भी जला ले।
भाई दूज की पूजा की थाली में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, फूल, पान का पत्ता, सुपारी, चांदी का सिक्का, सूखा नारियल, फल, मिठाई, दूर्वा आदि जरूर रखें।