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गोपाष्टमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

इस वर्ष 2023 में 20 नवंबर को गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाएगा। सुबह 5:21 पर तिथि शुरू हो जाएगी और 21 नवंबर सुबह 3:18 पर समाप्त हो जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। 

      

हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय पशु माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गए में 36 कोटी देवी देवताओं का वास है। श्रीमद् भागवत गीता में लिखा है कि जब देवताओं और असुरों के बीच में समुद्र मंथन हुआ था तो उसमें 14 बहुमूल्य रत्न निकले थे जिनमें से कामधेनु गाय भी एक है। पवित्र होने की वजह से कामधेनु गाय को ऋषियों ने अपने पास रखा था। इसलिए गौ माता की पूजा करने से हमें  सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भगवान श्री कृष्ण ने इंद्रदेव के क्रोध से बृजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। जिसके नीचे सभी बृजवासियों ने शरण ली थी। ब्रज में निरंतर 7 दिनों तक इंद्रदेव ने मूसलधार बारिश की थी। जब भगवान इंद्र का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने आज ही के दिन गोपाल अष्टमी को अपनी हार स्वीकार की थी।

              गोपाष्टमी क्यों मनाई जाती है?

                      

इस दिन से भगवान श्री कृष्ण ने गौ चारण लीला की शुरुआत की थी। जब भगवान श्री कृष्ण ने छठी वर्ष की आयु में प्रवेश किया तो वह एक दिन अपनी माता यशोदा से बोले कि अब हम बछड़े चलाने नहीं जाएंगे, अब हम गए चलेंगे। मां यशोदा ने श्री कृष्ण से नंद बाबा से पूछने के लिए। श्री कृष्णा तुरंत नंद बाबा के पास पूछने पहुंच गए। नंद बाबा ने उनसे कहा अभी तुम छोटे हो इसलिए अभी बछड़े ही चराओ। लेकिन भगवान श्री कृष्णा नहीं माने और वह अपनी जिद पर आ गए। तब नंद बाबा ने उनसे कहा कि जाओ पंडित बुलाकर लाओ वह गौ चारण का शुभ मुहूर्त बता देंगे। भगवान श्री कृष्णा दौड़कर पंडित जी के पास गए और बोले आपको बाबा ने बुलाया है गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए। आप आज का ही मुहूर्त निकालना मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा। जब पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग में मुहूर्त देखने लगे तो वह बार-बार गणना कर रहे थे। यह देखकर नंद बाबा बोले क्या हुआ पंडित जी आप बार-बार गणना क्यों कर रहे हैं। तो पंडित जी बोले मुहूर्त आज का ही है इसके बाद फिर एक साल का इंतजार करना पड़ेगा। पंडित जी की यह बात सुनकर नंद बाबा ने गौ चारण की अनुमति भगवान श्री कृष्ण को दे दी।

भगवान जी किसी भी समय कोई भी कार्य आरंभ करें वह शुभमुहूर्त ही होता है। उसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोचरण आरंभ किया और वह शुभ तिथि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी उसी दिन से इस तिथि को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है।

जब माता यशोदा ने गौर चरण पर जाने के लिए श्री कृष्ण का श्रृंगार किया और उन्हें जूती पहने लगी तो भगवान ने मना कर दिया जूती पहने के लिए। भगवान श्री कृष्ण बोले यदि मेरी गाय जूती नहीं पहन सकती तो मैं कैसे पहनू। यदि आप उन्हें जूतियां पहन सकती हैं तो मैं भी जुटी पहन लूंगा और तब से भगवान श्री कृष्ण ने कभी जूतियां नहीं पहनी।

            गोपाष्टमी की पूजा कैसे करते हैं?

        

यह त्यौहार विशेष तौर पर मथुरा वृंदावन में मनाया जाता है

गोपाष्टमी कैसे जल्दी उठकर स्नान आदि करके मंदिर की साफ सफाई करें। मंदिर में गाय माता की बछड़े के साथ वाली एक तस्वीर रखें फिर एक घी का दीपक जलाएं और फूल अर्पित करें। इस दिन गाय को अपने हाथ से चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए। अगर आपको अपने घर के आस-पास गए ना मिले तो आप गौशाला में जाकर गौ सेवा भी कर सकते हैं।

गौ पूजा के लिए सबसे पहले गाय को स्नान कराएं फिर उनका रोली चंदन या हल्दी से तिलक करें। उन्हें फूल माला ही चढ़ाएं और भोग लगाएं। इस दिन गौ माता को चारे के साथ गुड भी खिलाना चाहिए। गुड़ खिलाने से सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है।

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