माता तुलसी का पौधा प्रत्येक घर में विराजित रहता है ऐसा माना जाता है कि यदि घर में माता तुलसी विराजित रहती हैं तो उसे घर में लड़ाई झगड़ा या क्लेश आदि नहीं होते या फिर होते होंगे तो कम होने लगते हैं साथ ही सुख समृद्धि में वृद्धि होती है माता तुलसी जी क्योंकि भगवान विष्णु जी के शीला रूप शालिग्राम जी की पत्नी है इस प्रकार माता लक्ष्मी की भी कृपा आपके घर पर बनी रहती है। तुलसी विवाह का सनातन धर्म एक विशेष स्थान है तुलसी विवाह पर भगवान विष्णु के शिला रूप भगवान शालिग्राम जी का विवाह माता तुलसी के साथ संपन्न कराया जाता है। इस विवाह में किन सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है अर्थात तुलसी विवाह में उपयोग में आने वाली वस्तुओं के नाम व तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि का वर्णन और साथ ही तुलसी विवाह में बरतने वाली सावधानियां अर्थात माता तुलसी और भगवान शालिग्राम जी के विवाह को विद विधान पूर्वक किस प्रकार करना चाहिए किन वस्तुओं को माता तुलसी और भगवान शालिग्राम जी के विवाह के समय नहीं चढ़ाना चाहिए माता तुलसी को किस प्रकार स्पर्श करना चाहिए आदि संबंधी बातों का वर्णन आपकी सुविधा के लिए इस लेख में किया गया है, इसलिए लेख को पूरा और ध्यान से पढ़ें,
तुलसी विवाह कब है ?
तुलसी विवाह की कथा बेहद पुरानी है इस कथा में भगवान विष्णु ने एक स्त्री जिसका नाम वृंदा था की श्राप को जीवित रखने के लिए तुलसी इस विवाह किया था जिससे संबंधित कहानी का वर्णन आगे लेख में किया गया है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष मैं द्वादशी की तिथि को आने वाले इस तुलसी विवाह के त्यौहार को इस वर्ष यदि तुलसी विवाह की तारीख की बात करें तो मासिक पंचांग के अनुसार तुलसी विवाह इस वर्ष की कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में द्वादशी की तिथि को 25 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। तुलसी विवाह को प्रत्येक घरों में विधि विधान पूर्वक माता तुलसी और भगवान विष्णु के शीला रूप भगवान शालिग्राम से कराया जाता है यह विवाह हजारों लाखों वर्षों से इसी प्रकार मनाया जाता आ रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस विवाह को करने से घर में आ रही कई समस्याओं व कार्यों में आ रही रूकावटों से पुरुष और स्त्री को मुक्ति मिल जाती है अर्थात उनके कार्यों में जो रुकावटें आती हैं वह धीमे-धीमे कम होने लगते हैं घर में बढ़ रहे क्लेश कम होने लगते हैं साथ ही कुछ और भी फल तुलसी विवाह को भी विधान पूर्वक करने से प्राप्त होते हैं जिनका वर्णन आगे लेख में किया गया है।
तुलसी विवाह की संपूर्ण सामग्री
तुलसी विवाह का महत्व हिंदुओं में बहुत है साथ ही सनातन धर्म इसका विशेषता वर्णन सुनने को मिलता है ऐसे में यदि तुलसी विवाह को विधि विधान पूर्वक व सही सामग्री के साथ ना किया जाए तो यह उतना फलदाई नहीं होता ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से आपको माता लक्ष्मी की कृपा शीघ्र अतिशीघ्र मिलने लगती है तुलसी विवाह में उपयोग में आने वाली सामग्रियों को अधिक मात्रा में नहीं लाया जाता बिल्कुल थोड़ी सी मात्रा से ही तुलसी विवाह का कार्य पूर्ण हो जाता है। तुलसी विवाह में उपयोग आने वाले जो सामग्रियां हैं उनके नाम कुछ इस प्रकार है :-
- तुलसी का पौधा
- भगवान विष्णु की प्रतिमा
- चौकी
- गन्ना
- मूली
- आंवला
- बेर
- शकरकंद
- सिंघाड़ा
- सीताफल
- अमरूद सहित अन्य मौसमी फल
- धूप
- दीपक
- वस्त्र
- फूल और माला
- चूड़ी
- विछिया
- कंगी
- शीशा
- सुहागिन स्त्री का संपूर्ण श्रृंगार का सामान
- सुहाग का प्रतीक
- लाल चुनरी
- साड़ी
- हल्दी
ऊपर लेख में बताएगी सामग्री में यदि आप कुछ वस्तुओं को लाने में असमर्थ हैं इन सभी वस्तुओं को लाने में असमर्थ है केवल कुछ ही वस्तुओं को लब पे हैं वह चाहे किसी भी कारणवश हुआ हो तो उससे कोई भी दिक्कत नहीं होगी क्योंकि भगवान केवल भक्ति देखते हैं वह यह नहीं देखे कि अपने उन पर क्या चढ़ाया क्या नहीं चढ़ाया इसीलिए आप ऊपर लेख में बताई गई वस्तुओं में से चाहे तो कुछ ही जरूरी सामान जैसे लाल चुनरी भगवान साले ग्राम माता तुलसी का वृक्ष एक दीपक जलन योग्य की जो की गाय का हो और सुहागन स्त्री की श्रृंगार का सामान जो की 5 या 7 की संख्या में हो इन महत्वपूर्ण सामग्रियों का आयोजन करके भी आप तुलसी विवाह को पूर्ण कर सकते हैं।
जाने तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि
तुलसी विवाह एक बहुत ही पुरानी रीति है जो की स्त्रियों द्वारा माता तुलसी और भगवान शालिग्राम क्योंकि भगवान विष्णु जी के शीला रूप हैं के प्रत्येक वर्ष विवाह करके संपन्न कराई जाती है इस विवाह को करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए तथा तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि कुछ इस प्रकार है कि :-
सबसे पहले आप माता तुलसी का वृक्ष ले अब आपको लकड़ी की साफ सुथरी सी दो चौकियों को लेना है जिसके ऊपर अब आपको एक साफ सुथरा अखंडित कपड़ा जो की लाल और पीला हो या कोई चुनरिया या फिर कोई आसान जो की साफ व अखंडित हो को चौकी के ऊपर बिछाना है अब आपको इसके बाद आपको उन दोनों चौकियों में से एक चौकी के ऊपर लाल कपड़े चुनरिया या आसान को बिछाना है जिसके ऊपर आपको माता तुलसी को विराजित करना होगा और उसमें से दूसरी चौकी के ऊपर भगवान विष्णु के शिला रूप भगवान शालिग्राम जी की प्रतिमा को स्थापित करना है, इसके बाद अब आप इन दोनों चौकियों को गन्नों की सहायता से मंडप को बनकर तैयार करना होगा।
अब आप एक कलश को लेकर उसमें जल भरे जिसमें 5 या 7 आम के पत्तों को कलश के ऊपर लगाकर उस जल से भरे कलश को भगवान विष्णु के शीला रूप शालिग्राम और माता तुलसी के समक्ष स्थापित करें।
अब आप माता तुलसी और भगवान शालिग्राम जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और माता तुलसी व भगवान शालिग्राम जी का होली या कुमकुम आदि से तिलक करें।
तिलक करने के पश्चात अब माता तुलसी को सबसे पहले चुनरी चढ़ाएं जिसके बाद आपको माता तुलसी को चूड़ी वह सिंदूर और जो अन्य सदवा स्त्री के सोलह सिंगार के सामान होते हैं जैसे गंगा शिक्षा तेल बिछिया पायल बिंदी लिपस्टिक फाउंडेशन पाउडर आदि माता तुलसी को अर्पित करना है।
माता तुलसी को सिंगर का सामान अर्पित करने के पश्चात अब आपको सावधानी पूर्वक माता तुलसी और भगवान शालिक राम जी के अग्नि के समक्ष सात फेरे करने होंगे।
तुलसी माता और भगवान शालिग्राम जी के फेर करवाने के पश्चात अब आपको माता तुलसी जी और भगवान शालिग्राम जी की आरती उतरनी पड़ेगी साथ ही उनसे ऐसी विनती करें कि जय माता तुलसी है भगवान शालिग्राम मेरे जीवन में आ रही सभी समस्याओं का निवारण करें निवारण करें निवारण करें हे माता तुलसी भगवान शालिग्राम मेरे परिवार की वृद्धि में आ रही सभी रूकावटों का निवारण करें निवारण करें निवारण करें साथ ही उनसे ऐसी कामना करें कि हे माता तुलसी भगवान शालिग्राम आप हमें हर प्रकार से सुख और सौभाग्य प्रदान करें।