सार..
होली रंगों का सबसे बड़ा त्यौहार जो कि अपने साथ डॉन खुशियां समेट कर लाता है इसको भारत देश में बेहद ही हर्षोल्लाश के साथ हर राज्य हर जिले हर कस्बे छोटे से छोटे गांव से लेकर राजधानी दिल्ली तक मनाया जाता है।
विस्तार..
रंगों के त्यौहार अर्थात होली कॉपर हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है इसका अन्य त्योहारों की अपेक्षा एक महत्वपूर्ण स्थान है और यह बड़े त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है। रंगों के इस त्यौहार का लोग बेहद बेसब्री से इंतजार करते हैं यह इंतजार फाल्गुन माह तक चलता है। इस त्यौहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार माने तो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
रंगों का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है इस दिन लोग अपने देवी देवताओं का आशीर्वाद लेकर और एक दूसरे के घर जाकर अपने बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करके एक दूसरे को होली की बधाइयां देते हैं। रंगों के इस त्यौहार को सभी घरों में गुजिया, ऐसे, वह अन्य विभिन्न प्रकार की मिठाइयां व नमकीन बनाई जाती हैं।
ऐसा माना जाता है की होलिका दहन के साथ ही हमें अपनी सभी बुराइयों को होलिका दहन के साथ ही जला देना चाहिए और जिसे भी कुछ मन मुटाव होते हैं उनके साथ एक नई शुरुआत करनी चाहिए। होलिका दहन के अगले दिन पूरे देश में और देश के साथ कई विदेश में भी रंगो द्वारा होली खेली जाती है ।
हम एक दूसरे को रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाते हैं यह रंग अपने साथ सभी बुराइयों और मनमुटावों को ढक लेता है और अपने साथ रंग में घोल लेता है। होली के दिन हम सभी अपने बड़ों को गुलाल लगाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और छोटों को गुलाल लगाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
होली के शुभ मुहूर्त व तारीखें
रंगों का यह त्यौहार हर वर्ष फागुन या मार्च के महीने में आता है जो कि इस वर्ष सन 2024 में 25 मार्च को मनाया जाएगा जबकि होलिका दहन इसके 1 दिन पहले अर्थात 24 मार्च को मनाया जाएगा वही बात करें होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की तो वह हिंदू पंचांग के अनुसार सुबह के समय रविवार को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी जो कि अगले दिन 25 मार्च को सुबह के 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा इस दिन ही घर से बाहर और घर के अंदर होलिका दहन किया जाएगा।
वही होली पर रंग खेलने का शुभ मुहूर्त ठीक 1:00 बजे से शुरू होगा जो की पूरे दिन रहेगा।
होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
रंगों के त्यौहार या होली पर किए जाने वाले होलिका दहन के पीछे एक बहुत बड़ी और पौराणिक व सीख लेने वाली और भक्ति को जागृत करने वाली कथा है जो की हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से जुड़ी हुई है।
तो कथा कुछ यूं प्रारंभ होती है की एक समय की बात है जब “हिरण्यकरण वन” नामक स्थान का राजा हिर्नाकश्यप था जो कि वर्तमान समय में हरदोई जिले के नाम से जाना जाता है। हिर्नाकश्यप एक राक्षस कुल का व्यक्ति था जो कि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा विरोधी था।
हिर्नाकश्यप के चार पुत्र हुए प्रह्लाद , अनुहलाद , सह्ल्लाद और हल्लाद जिनमें से प्रहलाद सबसे वृद्ध और हल्लाद सबसे युवा बेटा था। किंतु समस्या तब शुरू हुई जब हिर्नाकश्यप का बड़ा बेटा प्रहलाद बड़ा होने लगा उसे पता चला कि उसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त है जब उसे यह बात पता चली तब उसने अपने बेटे प्रहलाद को मृत्यु दंड देने का आदेश दिया उसने भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रहलाद को सांपों की कोठरी में डाल किंतु भगवान विष्णु के प्रताप से सांप भी उसके लिए बिस्तर का काम करने लगे उसने प्रहलाद को विभिन्न यातनाएं दी किंतु भगवान विष्णु हर जगह प्रहलाद की रक्षा के लिए आ जाते इन सबसे परेशान होकर हिर्नाकश्यप की बहन होलिका ने अपने भाई को अपनी शक्ति का परिचय देते हुए कहा कि है भैया अगर आप प्रहलाद को मृत्यु दंड देना चाहते हैं तो मैं भी आपकी सहायता करना चाहती हूं।
उसने कहा कि मेरे पास ब्रह्मदेव द्वारा दी हुई एक ऐसी साल है जिसे ओढ़ लेने से उसे व्यक्ति को अग्नि का प्रभाव नहीं पड़ता जो उसे ओढ़ होता है। होलिका ने अपने भाई से कहा कि वह चिता पर प्रहलाद को गोद में बिठाकर बैठ जाएगी और स्वयं उसे साल को धारण कर लेगी जो कि उसे ब्रह्म देव से प्राप्त है इससे वह भी बच जाएगी और प्रहलाद को मृत्यु दंड भी मिल जाएगा किंतु भगवान विष्णु प्रहलाद की रक्षा के लिए आए और जब होलिका प्रहलाद को गोद में बिठाकर चिता के ऊपर बैठ गई और जब उसमें आग लगाई गई तो वह साल भगवान विष्णु के प्रताप से होलिका से प्रहलाद के ऊपर आ गई जिससे प्रहलाद की जान बच गई और होलिका उसी समय उस चिता में जलकर भस्म हो गई।
प्रहलाद चिता में बैठकर श्री हरि विष्णु का जाप करता रहा जिस कारण भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न हुए। और तभी से होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत और पाप पर भक्ति की जीत के रूप में माना जाने लगा और यह एक त्यौहार के रूप में आज भी पूरे भारत और विदेशों में भी कई जगह मनाया जाता है।
होलिका दहन की राख से करें यह उपाय नहीं रहेगी धन की कमी
जहां पर भी होली मनाई जाती है वहां पर होलिका दहन अवश्य ही होता है यह होलिका दहन कई जगह से लकड़ी, कांडे आदि को एकत्रित करके जलाई जाती है जब होलिका दहन की आग शांत होकर ठंडी हो जाती है तब आप इससे कुछ उपाय कर सकते हैं जैसे यदि आप होलिका दहन की रात को अपने घर में लाते हैं और उसे एक लाल कपड़े में भरकर छोटी सी पुड़िया बनाकर अपनी तिजोरी में रखते हैं तो ऐसा माना जाता है कि आपके घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की आज अत्यधिक पावन होती है, इसलिए यदि आप जो घर में होलिका दहन किया जाता है उसकी रात में कुछ लोटा पानी गर्म करके पूरा घर स्नान करता है तो उसे उसे त्वचा संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं।
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