दिवाली रोशनी और खुशियों का त्यौहार है। दिवाली का पूरा नाम दीपोत्सव है इसका अर्थ दीप के साथ उत्सव मनाना है। दिवाली के दिन अयोध्या के राजा राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए थे और अयोध्या वासियों ने उनके आगमन पर इस दिन घी के दीए जलाए थे तभी से इस दिन को हर साल दीपावली या दीपोत्सव के नाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार का लोगों को बहुत इंतजार रहता है। हिंदू धर्म में लोग इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। मान्यता है कि इस त्यौहार पर प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है और धन दौलत सुख समृद्धि बनी रहती है। दिवाली की सुबह तुलसी पूजा भी होती है। दिवाली “अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की जीत” का प्रतीक है। प्रकाश शब्द ज्ञान और चेतना रूप में कार्य करता है यही कारण है दिवाली पर दीपक, मामबत्तियां, लैंप कई निजी और सार्वजनिक स्थानों को रोशन करते हैं।
दिवाली हर साल कार्तिक मार्क्स की अमावस्या को मनाई जाती है। वर्ष 2023 में कार्तिक मास की अमावस्या 12 नवंबर दिन रविवार को पड़ रही है। 12 नवंबर को दोपहर 2:44 से शुरू होगी और 13 नवंबर को दोपहर 2:56 पर समाप्त हो जाएगी। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में शुभ माना जाता है इसलिए 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम को 5:27 से 8:07 तक रहेगा, जिसमें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम को 5:38 से लेकर 7:33 तक ही रहेगा। यह अतिथि 1 घंटा 54 मिनट की ही है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है?
यह देवताओं और राक्षसों के प्रयास से समुद्र मंथन हुआ था जिसमें कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि निकले इसलिए इस दिन धनतेरस मनाई जाती है और अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी प्रकट हुई इसलिए हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन अचानक आपको उल्लू दिखाई पड़ता है तो अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन है। अगर आपको इस दिन उल्लू दिख जाए तो समझ लेना माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसाने वाली है। आपके घर में माता लक्ष्मी का वास होने वाला है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है?
माता लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्या की देवी कहा जाता है। अगर किसी के पास धन और ऐश्वर्या बहुत ज्यादा हो जाता है तो उसे अहंकार होने लगता है, बुद्धि भ्रष्ट होने लगती है अहंकार के चलते वह अपने धन को संभाल नहीं पाते। धन और वैभव को संभालने के लिए सद्बुद्धि होना जरूरी है। भगवान गणेश बुद्धि के देवता है जहां भगवान गणेश की पूजा होती है वहां पर सब कुछ शुभ ही शुभ होता है। इसलिए दिवाली पर माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है ताकि धन के साथ बुद्धि का भी विकास हो और आपके घर में धन समृद्धि सब बनी रहे।
माता लक्ष्मी को गणपति की दाएं और क्यों बिठाया जाता है?
माना जाता है की माता लक्ष्मी की कोई संतान नहीं इसलिए उन्होंने भगवान गणेश को ही अपना दत्तक पुत्र मान लिया। इसलिए पुत्र के साथ हमेशा माता को दाएं और बैठना चाहिए और पति के साथ बाई तरफ बैठ जाता है। एक बात खास ध्यान रखें। दिवाली की रात भूल कर भी ना सोए। इस रात को आपको जागरण करना चाहिए, माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए और माता लक्ष्मी के मंत्र का जाप करना चाहिए। भजन कीर्तन भी करना चाहिए ऐसे में जब ऐश्वर्या की देवी माता लक्ष्मी आपके घर में पधारेंगी तो भक्तिमय वातावरण से अत्यंत प्रसन्न होंगी।
दिवाली पर दिवाली पूजन की सामग्री।
माता लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की प्रतिमा तस्वीर। भगवान के वस्त्र और श्रृंगार का सामान। मिट्टी के बड़े और छोटे दिए। पूजा के लिए रोली, चावल, हल्दी, फूल, माला, नारियल, आम के पत्ते, गंगाजल, फल, धूप और पान आदि। भगवान श्री गणेश के भोग के लिए लड्डू और माता लक्ष्मी के लिए मिठाई।
दिवाली की पूजा विधि।
ईशान कोण में या उत्तर दिशा की तरफ सफाई करें और अच्छे से सजाएं। द्वार पर रंगोली बनाएं और वंदनवार लगाएं। माता लक्ष्मी के पद चिन्ह मुख्य द्वार पर ऐसे लगे जैसे माता लक्ष्मी घर में प्रवेश कर रही हो। जिस स्थान पर आप पूजा विधि करें उस स्थान पर स्वास्तिक बनाएं उस पर चावल रखें फिर चौकी रखकर उस पर माता लक्ष्मी, भगवान श्री गणेश और कुबेर देवता की मूर्ति रखें। पूजा के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्री गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु यह पंचदेव है। धूप दीप जलाकर सभी मूर्तियों का जल से पवित्रीकरण कर दें। अब कुस के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी श्री गणेश और अन्य सभी देवताओं के मस्ताक्स पर कुमकुम हल्दी और चावल लगाएं फिर उन्हें फूल माला चढ़ाएं। माता लक्ष्मी पूजा के समय साथ मुख वाला घी का दीपक जलाना चाहिए इससे माता लक्ष्मी की कृपा हम पर सदैव बनी रहती है। इसी तरह उपरोक्त सामग्री से भगवान का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन करते समय माता लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें। पूजा विधि करने के बाद आरती करें फिर भगवान को प्रसाद भोग लगाएं। कपूर आरती जरूर करें। करपुर गौरम करुणा का श्लोक जरूर बोलें। आरती को सबसे पहले भगवान की चरणों की तरफ चार बार घुमाएं उसके बाद नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं। ऐसा कुल सात बार करें फिर आरती करने के बाद आरती पर जल फेर दे और प्रसाद स्वरूप सभी लोगों पर छिड़कें। ध्यान रहे भोग में तेल, नमक, मिर्च इन चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का पत्ता रखा जाता है। माता लक्ष्मी के भोग के लिए मखाना, सिंघाड़ा, बतासे, गन्ना, हलवा, खीर, अनार, पान, सफेद और पीले रंग का मिष्ठान आदि अर्पित कर सकते हैं। भगवान श्री गणेश के भोग के लिए लड्डू, केला, धूपघास आदि अर्पित कर सकते हैं। चावल, बादाम, पिस्ता, छुहारा, हल्दी, सुपारी, गेहूं, नारियल यह सभी चीज भी अर्पित की जाती है। माता लक्ष्मी को कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं अगर ना मिले तो गुलाब का चढ़ाएं।
मुख्य पूजा के बाद पहले घर के द्वार पर और आंगन में दिया जलाएं और फिर घर के सभी कोनों में दिया अवश्य जलाएं। इस दिन यम के नाम का भी दीपक जलया जाता है।
पूजा करने के बाद ही हमें किसी से मिलना या पटाखे फोड़ना चाहिए।
पूजा के समय किसी भी प्रकार का शोर ना करें। किसी भी तरह की गतिविधियों पर भी ध्यान ना दें। पूजा के दौरान दीपक को दीपक से कभी नहीं जलाना चाहिए। इस दिन जुआ खेलना या किसी के घर जाना वर्जित है। दिवाली पर मिलना मिलाना पड़वा के दिन किया जाता है।
पूजा के बाद अपने आसन के नीचे कुछ बूंद पानी की अवश्य डालें और उसे अपने माथे पर लगाकर तब वहां से उठे। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी पूजा का फल देवराज इंद्र को मिल जाता है।
दिवाली की दिव्य ज्योति आपके घर को खुशियों से भर दे और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके जीवन में सुख समृद्धि और सफलता लाए। आने वाला साल में आपके जीवन में बहुत सारी खुशियां आएँ।
।। शुभ दिवाली ।।
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