14 नवंबर या 15 नवंबर कब है भाई – दूज का पर्व ? (जाने सही तारीख), क्या है कहानी भाई दूज की

भाई दूज भाई और बहन के रिश्ते का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को लोग हमारे यहां कार्तिक माह में आने वाली दीपावली के एक दिन बाद मानते हैं।

क्या आपको पता है कि भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, क्या है इसके पीछे छुप असली कारण, क्या है कहानी भाई दूज के त्यौहार की!

तो चलिए शुरू करते हैं आई हमारे साथ हम आपको इस लेख में बताएंगे कि भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कहां से हुई थी साथ ही इस लेख में इस त्यौहार के पीछे छिपी कहानी पर से भी पर्दा उठाएंगे, इसलिए लिखो पूरा और ध्यान से पढ़ें,

क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्यौहार, क्या है कारण ?

आपको बता दें कि भारत में भाई दूज का त्योहार बीते हजारों लाखों वर्षों से भाई और बहन के बीच मनता हुआ चला आ रहा है इसके पीछे जो कारण लोगों द्वारा सुनने को मिला और कई जगहों पर पढ़ने को भी मिला तो उसमें यह बताया जाता है कि भाई दूज की कहानी यमराज और यमुना नदी से जुड़ी हुई है।

आपको बता दें कि मृत्यु के देवता भगवान यमराज और माता यमुना नदी दोनों ही भगवान सूर्य की संताने हैं। भगवान यमराज और माता यमुना दोनों आपस में इसलिए भाई बहन होते हैं और यह कहानी भाई दूज की पूरी की पूरी इन्हीं से जुड़ी हुई है। क्या है कहानी लेख में आगे पढ़ें :-

भाई दूज के पीछे छिपी जो कहानी सुनाने को लोगों से मिलती है वह कुछ इस प्रकार है कि , एक समय की बात है जब सूर्यपुत्र भगवान यमराज को अपनी बहन यमुना की बहुत याद आने लगी थी तब यमुना से मिलने पृथ्वी पर गए थे जिसके बाद जब भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से विदा लेने के लिए चले तब यमराज ने यमुना को एक वर मांगने के लिए कहा इसके बाद यमुना ने अपने भाई यमराज से कहा कि भैया यदि आप मुझे कोई वर ही देना चाहते हैं, तो आप मुझे यह वरदान दिन की आप हर वर्ष मेरे पास इसी प्रकार इसी दिन आया करेंगे और मेरा अतित्या स्वीकार करेंगे। माता यमुना की यह बात सुनकर भगवान यमराज और भावुक होते और उन्होंने तथास्तु कहकर माता यमुना को यह वरदान दे दिया कि वह हर साल यमुना के यहां इसी प्रकार इसी दिन एक बार जरूर आया करेंगे और तब से ही यह मानता है कि इस तिथि को भगवान यमराज अपनी माता यमुना से मिलने के लिए पृथ्वी पर आया करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि कोई भाई बहन से भाई दूज खाने के बाद यदि यमुना नदी में स्नान करता है तो उसकी आयु लंबी होती है। इसी मान्यता के साथ यमराज जिस दिन अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे उसी तिथि को हर वर्ष इस दिन को भाई दूज के नाम से जाना जाने लगा।

भाई दूज के दिन भाई बहन करें यह काम मिलेगी अप्रत्याशित सफलता

ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में माता यमुना ने भगवान यमराज को अपने घर पर भोजन पानी करवाया था और उसी दिन जो जीव यात्राएं झेल रहे थे उन्हें भी छुटकारा मिल गया था। वे सभी की सभी जीवात्माएं अपने सभी पापों से मुक्त हो गई थी।

आपको बता दें कि यदि भाई दूज के दिन कोई भी भाई यमुना नदी में स्नान करता है तो वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है साथ ही वह यमराज के प्रकोप से भी बच जाता है और उसकी आयु सीमा में भी वृद्धि हो जाती है। साथ ही जो बहाने भाई दूज के दिन अपने भाई को नारियल (जिसमे पानी भरा हो) भेंट करती हैं तो उसे बहन के भाई की हर क्षेत्र में विजय होती है साथ ही किसी भी कार्य में रुकावट नहीं आती है।

भाई दूज का त्यौहार कब है, क्या है शुभ मुहूर्त ?

भाई दूज के त्यौहार के पीछे की कहानी जानने के बाद अब बात आती है कि आखिर भाई दूज का त्यौहार किस तारीख को है वह भाई दूज बनाने का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है,

तो आपको बता दें कि भाई दूज का पर्व इस वर्ष 2023 में नवंबर महीने की 14 तारीख दिन मंगलवार को मनाया जाएगा साथ ही आपको बता दें की भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन को समर्पित है इसलिए इस वर्ष 2023 में भाई दूज के त्यौहार का सबसे शुभ मुहूर्त जो है वह दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा और 15 नवम्बर को दोपहर 3 बजकर 20 मिनट तक ही रहेगा।

ये है भाई दूज मनाने की सही विधि

भाई दूज भाई और बहन के रिश्ते का एक अनमोल त्यौहार है , इसलिए भाई और बहन को दोनों को ही इस दिन होने वाले काम को बहुत ही विशेष प्रकार और क्रिया पैदा हुआ सही विकसित करना आवश्यक होता है। तो आपको बता दें कि भाई दूज बनाने की सही विधि कुछ इस प्रकार है कि :-

जब भाई बहन को भाई दूज खिलाने के लिए जाती है तब तक उसे व्रत रहना चाहिए और भाई को भी व्रत रहना चाहिए जब बहन भाई को भाई दूज खिलाने जाए उससे पहले दोनों स्नान कर चुके हो इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए।

अब बात आती है थाली से जाने की तो आपको बता दें कि भाई दूज पर बहन की थाली में निम्नलिखित चीज होनी चाहिए जिसमें पहली चीज होली जिसमें हल्दी और चावल होते हैं और साथ ही एक आरती दो टुकड़े मिठाई के होने चाहिए यह चीज अति आवश्यक हैं साथ ही में आप अगर कुछ और बढ़ाना चाहे तो बढ़ा सकते हैं।

बता दें की भाई दूज को जब बहन भाई को भाई दूज खिलाती है तो जब बहन भाई का तिलक व मिठाई खिलाए तो दोनो जमीन पर बैठे हो। इसके बाद भाई बहन की चरण वंदना करने के बाद अपने आसन से उठ सकता है।

आपको बता दें कि जिस जगह पर भाई और बहन बैठे हूं अर्थात जहां पर बहन भाई को भाई दूज खिला रही हो उसे जगह पर कोई चौक या रंगोली बना ले, यदि रंगोली बनाना अथवा चौक बनाना संभव न हो तो कम से कम उसे जगह को धूल लें।

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