धनतेरस पर इस शुभ वस्तु की करें खरीदारी, आय और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि

धनतेरस वर्ष के कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। क्योंकि इसी दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इस वर्ष 2023 को धनतेरस 10 नवंबर को मनाई जाएगी। धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5:47 से शुरू होगा और शाम को 7:47 तक रहेगा। इस वर्ष धनतेरस की पूजा का शुभ समय सिर्फ 1 घंटा 47 मिनट ही रहेगा। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय धनवंतरी देवता समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन धनवंतरि देवता समुद्र से प्रकट हुए वह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। इसीलिए हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाई जाती है। 

                           

श्री धन्वंतरी भगवान हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार हैं। जिन्होंने आयुर्वेद प्रवर्तन किया है। इनका अवतरण पृथ्वी लोक पर समुद्र मंथन के समय हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरी, चतुर्दशी को माता काली और अमावस्या को भगवती महालक्ष्मी जी का प्रादुर्भव हुआ था। इसलिए दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का अवतरण धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। “इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भुव किया था”।

जैन आगमन में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिए योग निरोध के लिए चले गए थे। 3 दिन के ज्ञान के बाद योग निरोध करते हुए दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

भगवान धन्वंतरि देवता समुद्र मंथन से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसीलिए धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है।धनतेरस को सोना, चांदी, बर्तन, वाहन, भूमि आदि की खरीदारी बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन धातु या मिट्टी की माता लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। धनतेरस पर धारदार चीज जैसे चाकू, कैंची, पिन, सुई आदि धारदार चीजे नहीं खरीदनी चाहिए। यह चीज धनतेरस पर खरीदना अशुभ माना जाता है। इन चीजों को खरीदने से कंगाली आती है। धनतेरस पर प्लास्टिक से बनी चीज भी ना खरीदें।

इस दिन शाम को शुभ मुहूर्त के समय भगवान धनवंतरी, कुबेर देवता, माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शाम को पूजा के लिए गुड़ के साथ धनिया के बीज का प्रसाद तैयार किया जाता है। धनतेरस पर धनिया खरीदने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। माता लक्ष्मी को धनिया बहुत प्रिय है। माता लक्ष्मी के चरणों में धनिया अवश्य चढ़ाएं इससे घर में बरकत बनी रहती है और साथ ही धन संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही धनतेरस पर बूंदी के लड्डू और खीर की अहम भूमिका होती है। 

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर तेरह दीपक जलाने चाहिए। यह तेरह दीपक कुबेर देवता को समर्पित किए जाते हैं। भगवान कुबेर धन, कीमती सामान और वैभव के स्वामी है। इस दिन जब हम भगवान धनवंतरी, कुबेर देवता, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तब साथ में यमराज की भी पूजा करने का विधान है। इस दिन शाम के समय दक्षिण दिशा की तरफ एक चौमुख तिल के तेल का दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपक भी कहा जाता है। धनतेरस पर पहला दीपक यमराज के नाम का जलाया जाता है। दो दीपक घर के प्रवेश द्वार पर जलाए जाते हैं बाकी के बचे हुए दीपक घर के आंगन में जलाए जाते हैं। यह दीपक नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकते हैं। मान्यता है कि इस दिन पुराने कपड़े नहीं पहनना चाहिए क्योंकि पुराने कपड़े पहनने से भयानक किस्मत आती है इसीलिए धनतेरस वाले दिन कोशिश करें कि आप नए और चमकीले रंग के कपड़े पहने।

धनतेरस पर झाड़ू क्यों खरीदी जाती है? 

                         

धनतेरस पर झाड़ू इसलिए खरीदी जाती है क्योंकि इससे दरिद्रता दूर हो जाती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। धनतेरस वाले दिन सिर्फ बांस की बनी झाड़ू ही खरीदे। फुल, फॉर्म, प्लास्टिक या बाजार में मिलने वाली अन्य तरह की झाड़ू ना खरीदें। इस दिन दो या चार जोडे में झाड़ू ना खरीदें। धनतेरस को तीन झाड़ू साथ में खरीदना शुभ माना जाता है। इन झाड़ू को कभी खुला न रखें माना जाता है कि इन झाड़ू को खुला रखने से घर में कलह होता है। अगर आपकी झाड़ू पुरानी हो गई है तो उस झाड़ू का क्या करें? पुरानी झाड़ू को घर में किसी जगह पर छुपा कर रखते हैं और किसी उचित दिन पर उस झाड़ू को घर से बाहर निकाल दे। जब आप अपनी पुरानी झाड़ू को घर से बाहर निकलते हैं तो ध्यान रखें उस समय भी किसी की नजर झाड़ू पर ना पड़े। अगर आप इन नियमों का पालन करते हैं तो माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है। लेकिन पुरानी झाड़ू को गुरुवार या शुक्रवार को नहीं फेकनी चाहिए। अगर आप इस दिन पुरानी झाड़ू फेंकते हैं तो माता लक्ष्मी भी चली जाती हैं।

पुरानी झाड़ू बदलने या नहीं झाड़ू खरीदने के लिए शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। झाड़ू हमेशा कृष्ण पक्ष में खरीदनी चाहिए। जबकि शुक्ल पक्ष में खरीदी गई झाड़ू को दुर्भाग्य का सूचक माना जाता है।

                      

धनतेरस की एक लोक कथा भी है। कथा यह है कि किसी समय में हेम नाम की एक राजा था। जिन्हें भगवान की कृपा से पुत्र प्राप्त हुआ। ज्योतिषियों ने जब उनके पुत्र की कुंडली बनाई तब पता लगा कि उनके बेटे का जब विवाह होगा तो विवाह के ठीक चार दिन बाद उनके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। राजा इस बात को सुनकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने अपने पुत्र को किसी ऐसी जगह पर भेज दिया जहां पर कोई स्त्री ना हो। एक दिन उसी जगह से एक राजकुमारी वहां से गुजरी। राजकुमार और राजकुमारी एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और उन दोनों ने गन्धर्व विवाह कर लिया। विवाह के चार दिन बाद उस राजकुमार के प्राण लेने के लिए यमदूत आ गए। जब यमदूत राजकुमार के प्राण लेकर जा रहे थे तब राजकुमार की पत्नी को रोता देखकर यमदूत भी भाभुक हो गए। लेकिन विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। उन्हीं में से एक यमदूत ने यमराज देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए? यावदूत के अनुरोध करने से यमराज ने कहा कि अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्त होने का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं- कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी पर जो मनुष्य दक्षिण की तरफ मुख करके पूजन दीपमाला करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। यही कारण है कि धनतेरस के दिन लोग घर के बहार दक्षिण दिशा में दीप जलाकर रखते हैं।

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