कब है गोपाष्टमी जाने सही तारीख, क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी

गोपाष्टमी का त्यौहार हिंदुओं का एक विशेष त्यौहार है। गोपाष्टमी का पर्व सनातन धर्म में एक विशेष स्थान ग्रहण किए हुए हैं। इस त्यौहार को मथुरा वृंदावन के क्षेत्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। गोपाष्टमी का त्यौहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं की इस वर्ष गोपाष्टमी का त्यौहार किस तारीख को मनाया जाएगा तथा इससे संबंधित कुछ विशेष घटनाएं वह जुड़े तथ्य आदि आपको इस लेख में विस्तार पूर्वक बताई गई हैं साथ ही हम आपको इस लेख में बताएंगे कि गोपाष्टमी क्यों मनाई जाती है इसके पीछे छिपी पूरी कहानी क्या है, गोपाष्टमी के पर्व का क्यों महत्व है, कैसे इस पर्व की शुरुआत हुई और कैसे इस पर्व का विस्तार सदियों से चला रहा है तथा गोपाष्टमी पर कैसे पूजा पाठ किया जाता है इससे संबंधित पूरा पूजा पाठ का विधि विधान से वर्णन आगे लेख में किया गया है इसलिए लेख को पूरा और ध्यान से पढ़ें,

गोपाष्टमी पर्व क्यों मनाया जाता है?

हिंदू रीति रिवाज में गोपाष्टमी का त्यौहार विशेष स्थान रखता है मथुरा वृंदावन गोकुल क्षेत्र में तो गोपाष्टमी का पर्व बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है इस पर्व पर गौ माता को नहला धुला कर साफ सुथरा करके उनको सजाया संवारा जाता है जिसके बाद उनकी पूजा अर्चना कर गौ माता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है मानता है कि ऐसा करने से भगवान कृष्ण की बेहद ही जल्दी कृपा प्राप्त होती है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को पढ़ने वाला यह त्यौहार भगवान कृष्ण की गोवर्धन लीला से जुड़ा हुआ है। आपको बता दें की मैं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाया था इसके बाद उन्होंने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोवर्धन पर्वत को सभी गोकुल बासियों को पर्वत के नीचे से निकाल कर इंद्रदेव का घमंड टूटने के बाद गोवर्धन पर्वत को पुनः उनके स्थान पर रख दिया।

इसके बाद भगवान कृष्ण का कामधेनु ने अभिषेक किया और तब से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोप अष्टमी के रूप में ख्याति मिली। पौराणिक कथाओं की माने तो ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोपाष्टमी के दिन से ही गौचरण की लीला को किया था। ऐसा कथाओं के माध्यम से सुनने को मिलता है कि जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के थे तब उन्होंने मैया यशोदा से गायों को चराने की विनती की क्योंकि इससे पहले तक भगवान कृष्ण केवल बछड़ों को ही चढ़ाया करते थे, माता यशोदा से भगवान कृष्ण जाते हैं और उनसे कहते हैं कि हे मां मैं अब 6 वर्ष का हो गया हूं क्योंकि अब मैं बड़ा हो चुका हूं इसलिए मैं अब बछड़ों के बजाय गायों को चराने जाया करूंगा कृष्ण भगवान की यह बात सुनकर मैया यशोदा ने उन्हें पहले तो बछड़ों को चराने के लिए ही मानते रही कि इतना मानने पर मैया यशोदा ने कहा ठीक है लाला तुम गायों को चराने के लिए जाया करना किंतु उससे पहले नंद बाबा की अनुमति ले लो यशोदा मां की इस बात को सुनकर भगवान कृष्ण दौड़े दौड़े नंद बाबा के पास पहुंचे और नंद बाबा से भगवान कृष्ण ने कहा बाबा मैं बड़ा हो चुका हूं इसलिए मुझे आप अब गायों को चराने के लिए अनुमति दें किंतु नंद बाबा ने श्री कृष्ण से कहा कि नहीं लाला अभी तुम गायों को चराने के लिए बहुत छोटे हो नंद बाबा की यह बात सुनकर कृष्ण गायों को चराने की हठ करने लगे। श्री कृष्ण की है को देखते हुए नंद बाबा ने गायों को चराने के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के लिए श्री कृष्ण से कहा कि जाओ लाला पंडित जी को बुलाकर लाओ ताकि वे गायों को चराने का शुभ मुहूर्त निकाल सके। नंद बाबा की यह बात सुनकर श्री कृष्णा तुरंत जाकर पंडित जी के पास पहुंच गए और उनसे कहा पंडित जी मेरे लिए गौ चरण का शुभ मुहूर्त निकाल दीजिए फिर मैं आपको बदले में ढेर सारा माखन दूंगा कृष्ण की है बात सुनकर पंडित जी बहुत बजे और उनसे कहा ठीक है लाला चलो नंद बाबा के पास चलकर मैं गो चरण का शुभ मुहूर्त निकाल दूंगा जब पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे तब उन्होंने बहुत देर तक पत्र देखने के बाद और कई गणना करने के बाद बताया की गौ चरण का शुभ मुहूर्त केवल आज ही है इसके बाद साल भर गौर चरण का कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है पंडित जी की यह बात सुनकर कृष्णा भगवान ने तुरंत ही गायों को खोलकर चराने के लिए ले गए और तब से ही कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इस अष्टमी को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाने लगा।

गोपाष्टमी पर पूजा कैसे करें ?

गोपाष्टमी को भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है इस पर्व पर आपको गाय माता की पूजा करनी होती है क्या मन की पूजा करने की विधि कुछ इस प्रकार है,

गोपाष्टमी पर पूजा करने के लिए सबसे पहले आप ब्रह्म मुहूर्त में उठे स्नान कर स्वच्छ हो जाए इसके बाद आपको गाय माता और उसके बछड़े को नहलाना है जिसके बाद अब आपको गाय और उसके बछड़े का सिंगार करना है। अब आपको गौ माता और उसके बछड़े की पूजा अर्चना करनी है इसके बाद उनको भोग लगाना है ध्यान रहे गाय माता को उसके बछड़े के बिना पूजन ना करें। गोपाष्टमी पर गौ माता और उसके बछड़े का पूजन करने से संतान की प्राप्त होती है और मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है ऐसा माना जाता है कि गोपाष्टमी पर यदि आप गाय माता और बछड़े की पूजा करते हैं तो भगवान कृष्ण का साथ प्राप्त होता है। मान्यता है की गोपाष्टमी पर गौ माता और बछड़े को भोजन करने से घर में अनाज की कमी नहीं होती और घर में नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

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